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नरसी मेहता का जीवन परिचय, भक्ति रचनाएँ, भजन व साहित्यिक योगदान | Narsinh Mehta Biography, Poems & Works in Hindi

Narsinh-Mehta

नरसी मेहता (Narsinh Mehta) भक्तिकाल के प्रमुख गुजराती संत कवि थे जिन्हें “नरसी भगत” के नाम से भी जाना जाता है। वे श्रीकृष्ण भक्ति (Shri Krishna Bhakti) के महान प्रचारक थे और उनके भजन आज भी पूरे भारत में गाए जाते हैं। नरसी मेहता ने अपने काव्य में सामाजिक समानता, प्रेम, त्याग और अहिंसा का संदेश दिया। वे भक्तिकाल के कवि (Bhaktikal ke Kavi) होने के साथ-साथ समाज सुधारक भी थे। उनका सबसे प्रसिद्ध भजन “वैष्णव जन तो तेने कहिए” गांधीजी का प्रिय भजन था। उनकी रचनाएँ गुजराती साहित्य (Gujarati Literature) की अमूल्य धरोहर हैं। नरसी मेहता का जीवन परिचय विद्यार्थियों और प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि आप Narsinh Mehta biography या भक्तिकाल के कवियों की जानकारी खोज रहे हैं, तो यह लेख आपके लिए उपयोगी रहेगा।

विवरणजानकारी
पूरा नामनरसिंह मेहता (Narsinh Mehta)
जन्म1414 ई.
जन्म स्थानतलाजा, भावनगर, गुजरात
मृत्यु1481 ई.
भाषागुजराती
धार्मिक संप्रदायवैष्णव भक्ति संप्रदाय
आराध्य देवभगवान श्रीकृष्ण
उपनामनरसी भगत

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नरसी मेहता का भक्ति जीवन

नरसी मेहता (Narsinh Mehta) का जीवन एक सच्चे श्रीकृष्ण भक्त (Shri Krishna Bhakt) का प्रेरणादायक उदाहरण है। वे भक्तिकाल के प्रमुख गुजराती संत कवि (Gujarati Bhakti Poet) थे। उनका बाल्यकाल अत्यंत कष्टमय था और उन्हें प्रारंभिक जीवन में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उन्होंने एकांत में श्रीकृष्ण भक्ति करते हुए अध्यात्म की गहराई में डुबकी लगाई। कहा जाता है कि उन्हें श्रीकृष्ण की रासलीला के दिव्य दर्शन हुए थे। नरसी मेहता का जीवन प्रेम, त्याग और समर्पण की मिसाल है। वे समाज में व्याप्त जातिवाद और ऊँच-नीच के विरोधी थे। उनके प्रसिद्ध भजनों में “वैष्णव जन तो तेने कहिए” आज भी लोगों को मानवता, समानता और भाईचारे का संदेश देते हैं। यदि आप Narsinh Mehta poems, Bhaktikal ke kavi, या Krishna Bhakt Sant खोज रहे हैं, तो नरसी मेहता का जीवन परिचय अत्यंत उपयोगी और प्रेरणादायक है।

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नरसी मेहता की प्रमुख रचनाएँ  | Narsi Mehta ki Rachnayen

नरसी मेहता की रचनाएं भक्ति भावना से ओतप्रोत थीं। वे भक्तिकाल के महान कवि (Bhaktikal ke Kavi) और श्रीकृष्ण भक्ति (Shri Krishna Bhakti) के अग्रणी संत माने जाते हैं। उनकी कविता शैली सरल, भावपूर्ण और आत्मा को छू लेने वाली थी। नरसी मेहता की रचनाओं का मुख्य केंद्र भगवान श्रीकृष्ण थे। वे पद (Pad), भजन (Bhajan) और स्तुति (Stuti) के माध्यम से अपने भाव प्रकट करते थे। उनकी प्रसिद्ध रचना “वैष्णव जन तो तेने कहिए” आज भी समाज में करुणा, सेवा और समानता का संदेश देती है। उनकी गुजराती भक्ति कविता (Gujarati Bhakti Poetry) ने जनमानस पर गहरा प्रभाव डाला। यदि आप Narsinh Mehta bhajans, Shri Krishna devotional songs, या Narsinh Mehta works खोज रहे हैं, तो उनकी रचनाएँ आपको अध्यात्म और भक्ति की सच्ची अनुभूति देंगी।

क्रमरचना का नामविवरण
1️वैष्णव जन तो तेने कहिएयह उनकी सबसे प्रसिद्ध रचना है, जो महात्मा गांधी का प्रिय भजन भी था। इसमें एक सच्चे वैष्णव की पहचान बताई गई है।
2️हरि मारा प्रियतमभगवान श्रीकृष्ण के प्रति भक्ति और प्रेम से भरा हुआ पद।
3️जाग रे कंवलदलआत्मजागृति और ईश्वर स्मरण की प्रेरणा देने वाली रचना।
4️मेरो मन मोहन थकीश्रीकृष्ण के प्रति आकर्षण और प्रेमभाव को दर्शाता भजन।
5️रास पंचाध्यायीश्रीकृष्ण और गोपियों की रासलीला का काव्यात्मक चित्रण।
6️भाव बखानभक्ति के भावों की गहराई को समझाने वाला पद।

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भाषा-शैली और साहित्यिक विशेषताएँ | Bhasha-Shaili Aur Sahityik Visheshtayen

  • नरसी मेहता की रचनाएँ गुजराती भाषा में थीं, परंतु उनमें गहराई और आध्यात्मिक भावनाएँ हिंदीभाषियों को भी आकर्षित करती हैं।
  • उन्होंने सांप्रदायिक सद्भाव, सामाजिक समानता, करुणा, और नारी सम्मान जैसे विषयों को अपने भजनों में उठाया।
  • उनके पदों में आलंकारिक भाषा, सरलता, और प्रेम रस की प्रमुखता मिलती है।
  • उन्होंने जात-पात, वर्ण भेद और धार्मिक कट्टरता का विरोध किया।

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नरसी मेहता और महात्मा गांधी

महात्मा गांधी, संत कवि नरसी मेहता (Narsinh Mehta) से अत्यधिक प्रभावित थे। उनका प्रिय भजन “वैष्णव जन तो तेने कहिए” (Vaishnav Jan To Bhajan) गांधीजी के प्रत्येक सार्वजनिक कार्यक्रम में गाया जाता था। यह भजन स्वतंत्रता संग्राम (Indian Freedom Movement) के दौरान नैतिकता, करुणा और मानवता का प्रतीक बन गया। Narsinh Mehta bhajan गांधीजी की विचारधारा से गहराई से जुड़ा हुआ था। आज भी यह गीत गांधीजी का प्रिय भजन (Gandhiji’s Favorite Bhajan) और freedom movement song के रूप में व्यापक रूप से प्रसिद्ध है।

नरसी मेहता (Narsinh Mehta) केवल एक कवि नहीं, बल्कि एक महान संत, समाज सुधारक और आध्यात्मिक मार्गदर्शक (Spiritual Poet of Gujarat) थे। उन्होंने भक्ति आंदोलन (Bhakti Movement in India) को नई दिशा दी। उनकी रचनाएँ केवल श्रीकृष्ण भक्ति तक सीमित नहीं थीं, बल्कि उनमें सामाजिक चेतना, प्रेम और करुणा का संदेश भी था। नरसी मेहता ने समाज में फैली रूढ़ियों और भेदभाव का विरोध करते हुए समता, सेवा और सत्य का संदेश दिया। यदि आप जानना चाहते हैं नरसी मेहता कौन थे (Who was Narsinh Mehta), तो उन्हें एक Bhakti poet, social reformer और Saint of Gujarat के रूप में अवश्य जानें।

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नरसी मेहता पर आधारित 15 महत्वपूर्ण प्रश्न (FAQs)

1. नरसी मेहता कौन थे?
उत्तर: नरसी मेहता एक महान भक्तिकालीन संत कवि थे, जिन्होंने भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में आधारित कई भजनों की रचना की।

2. नरसी मेहता का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर: नरसी मेहता का जन्म 1414 ईस्वी में गुजरात के भावनगर जिले के तलाजा नामक स्थान पर हुआ था।

3. नरसी मेहता की मृत्यु कब हुई थी?
उत्तर: नरसी मेहता का निधन 1481 ईस्वी में हुआ था।

4. नरसी मेहता की सबसे प्रसिद्ध रचना कौन सी है?
उत्तर: “वैष्णव जन तो तेने कहिए” उनकी सबसे प्रसिद्ध रचना है।

5. नरसी मेहता किस भगवान के भक्त थे?
उत्तर: वे भगवान श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त थे।

6. नरसी मेहता किस भाषा में रचनाएँ करते थे?
उत्तर: वे मुख्य रूप से गुजराती भाषा में लिखते थे।

7. क्या नरसी मेहता किसी भक्ति संप्रदाय से जुड़े थे?
उत्तर: हाँ, वे वैष्णव भक्ति संप्रदाय से जुड़े थे।

8. नरसी मेहता को और किस नाम से जाना जाता है?
उत्तर: उन्हें “नरसी भगत” के नाम से भी जाना जाता है।

9. महात्मा गांधी नरसी मेहता से कैसे जुड़े थे?
उत्तर: गांधीजी नरसी मेहता के भजन “वैष्णव जन तो…” को बहुत मानते थे और उसे अपने आंदोलनों में गवाते थे।

10. नरसी मेहता की रचनाओं में किस विषय की प्रधानता है?
उत्तर: उनकी रचनाओं में श्रीकृष्ण भक्ति, सामाजिक समानता, करुणा और मानवता की प्रधानता है।

11. क्या नरसी मेहता सामाजिक सुधारक भी थे?
उत्तर: हाँ, उन्होंने जात-पात और ऊँच-नीच का विरोध किया और मानव समानता का संदेश दिया।

12. क्या नरसी मेहता को श्रीकृष्ण का दर्शन हुआ था?
उत्तर: मान्यता है कि उन्होंने घोर तपस्या के बाद भगवान श्रीकृष्ण की रासलीला का दर्शन किया था।

13. नरसी मेहता की रचनाओं की शैली कैसी थी?
उत्तर: उनकी शैली सरल, भावपूर्ण, और भक्ति रस से परिपूर्ण थी।

14. नरसी मेहता की अन्य प्रमुख रचनाएँ कौन-कौन सी हैं?
उत्तर: “हरि मारा प्रियतम”, “जाग रे कंवलदल”, “रास पंचाध्यायी”, “मेरो मन मोहन थकी” आदि।

15. नरसी मेहता का साहित्यिक महत्व क्या है?
उत्तर: वे गुजराती भक्ति साहित्य के प्रथम कवि माने जाते हैं और उनकी रचनाएँ भक्तिकाल की अमूल्य धरोहर हैं।

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