
आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी (1864–1938) हिंदी के एक महान साहित्यकार, पत्रकार और युगप्रवर्तक थे। उनका जन्म वर्ष 1864 में हुआ था। उन्होंने हिंदी साहित्य की सेवा करते हुए अपने युग की साहित्यिक और सांस्...
सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ हिंदी साहित्य के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक थे। उनका जन्म 21 फ़रवरी 1899 को बंगाल के महिषादल रियासत (मेदिनीपुर) में हुआ था। वे कवि, उपन्यासकार...
मैथिलिशरण गुप्त हिंदी खड़ी बोली के प्रमुख कवि थे, जिन्हें “राष्ट्रकवि” की उपाधि प्राप्त है। उनका जन्म 3 अगस्त 1886 को चिरगांव, झाँसी में हुआ था। गुप्त जी की रचनाएँ “भारत-भारती”, “साकेत” और “यशोधरा” भा...
नरसी मेहता (Narsinh Mehta) भक्तिकाल के प्रमुख गुजराती संत कवि थे जिन्हें “नरसी भगत” के नाम से भी जाना जाता है। वे श्रीकृष्ण भक्ति (Shri Krishna Bhakti) के महान प्रचारक थे और उनके भजन आज भी...
भारतेंदु हरिश्चंद्र आधुनिक हिंदी साहित्य के जनक माने जाते हैं। उन्होंने अपने अल्प जीवन में हिंदी भाषा को आधुनिक स्वरूप प्रदान किया और कविता, नाटक, पत्रकारिता व सामाजिक चेतना के क्षेत्र में क्रांतिकारी...
हिंदी साहित्य में रीतिकालीन काव्यधारा के महानतम कवियों में से एक बिहारी लाल चौरासीया (संक्षेप में बिहारी) का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। उन्होंने अपनी अनूठी शैली, गहन भावों और अलंकारपूर्ण भाषा के का...
मीरा बाई भक्तिकाल की एक ऐसी स्त्री थीं जिन्होंने अपने प्रेम, त्याग और आध्यात्मिक समर्पण से नारी और भक्ति दोनों को नई पहचान दी। वे भगवान श्रीकृष्ण की अनन्य भक्त थीं और उनके लिए ही उन्होंने अपना समस्त ज...
गोस्वामी तुलसीदास हिंदी साहित्य के सबसे महान कवियों में से एक हैं। वे रामभक्ति शाखा के प्रमुख कवि माने जाते हैं। उनका जीवन, साहित्य, और भक्ति भावना एक प्रेरणास्त्रोत है। तुलसीदास ने भारतीय संस्कृति, स...
संत सूरदास भारतीय भक्तिकाल के सर्वोच्च कवियों में गिने जाते हैं। वे श्रीकृष्ण भक्ति की पराकाष्ठा, संवेदना, भाषिक माधुर्य, और लोक-आस्था के जीवंत प्रतीक हैं। उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से न केवल भक्...
संत कबीर दास भारत के सबसे महान रहस्यवादी कवि, संत और समाज सुधारक माने जाते हैं। वे अपने गहरे आध्यात्मिक ज्ञान, निडर सामाजिक आलोचना और सार्वभौमिक भाईचारे के संदेश के लिए हिंदू, मुस्लिम और सिख सभी के बी...