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भारतीय राष्ट्रीय ध्वज 1857 से शुरू होकर 1947 में कैसे बना तिरंगा, जानें पूरी डिटेल

Story of the Indian National Flag

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज (Indian National Flag) हमारे देश की पहचान है, जिसे दुनियाभर में तिरंगा कहा जाता है। यह भारत के इतिहास, संस्कृति और स्वतंत्रता संग्राम का गौरवपूर्ण प्रतीक है। वर्तमान स्वरूप वाले राष्ट्रीय ध्वज को 22 जुलाई 1947 को अपनाया गया था।

क्या आप जानते हैं कि 1880 से पहले भारत का कोई साझा ध्वज नहीं था? उस समय विभिन्न राज्यों के राजा अपने-अपने राज्य के लिए अलग-अलग झंडों का उपयोग करते थे। वर्ष 1880 में पहली बार भारत को एक झंडे के रूप में पहचान मिली। इसके बाद कई बार बदलाव हुए और आखिरकार आज़ादी के बाद तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में मान्यता मिली।

1857 में पहली बार बहादुर शाह जफर ने यूज किया झंडा

भारत की पहली स्वतंत्रता संग्राम 1857 में भी एक विशेष झंडे का उपयोग किया गया था। इस संग्राम के दौरान बहादुर शाह ज़फ़र ने इसे राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया। इस ध्वज की पृष्ठभूमि हरे रंग की थी, जिस पर चांद और कमल का फूल अंकित था।

1980 से पहली बार देश के लिए झंडा हुआ प्रयोग

साल 1880 में भारतीय ध्वज को सबसे पहले श्रीश चंद्र बसु ने डिजाइन किया था। हालांकि, इस बात का कोई ठोस सबूत नहीं मिलता कि उस समय किसी भारतीय ने इस ध्वज को फहराया हो। यह झंडा मुख्यतः भारत के अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधित्व के उद्देश्य से तैयार किया गया था, लेकिन उस दौर में इसे देशभर में व्यापक स्वीकार्यता नहीं मिल पाई।

1880 से 1904 तक झंडे की यात्रा

साल 1880 से 1904 तक भारत का कोई आधिकारिक राष्ट्रीय ध्वज मौजूद नहीं था। हालांकि, इस दौरान कुछ प्रयास जरूर किए गए। विशेष रूप से 1904 में स्वामी विवेकानंद की शिष्या सिस्टर निवेदिता ने एक ध्वज डिजाइन किया। यह ध्वज लाल और पीले रंग का था, जिस पर बंगाली में ‘वन्दे मातरम्’, इंद्र देवता के वज्र का चिन्ह और सफेद कमल अंकित किए गए थे।1906 में राष्ट्रीय ध्वज मिली पहचान 

पहली बार 1906 में राष्ट्रीय ध्वज को मिली पहचान 

7 अगस्त 1906 को कोलकाता के पारसी बागान चौक में पहली बार तिरंगा फहराया गया, जिसे भारतीय राष्ट्रीय ध्वज की औपचारिक शुरुआत माना जाता है। इस ध्वज में तीन क्षैतिज पट्टियां थीं—हरी, पीली और लाल। हरी पट्टी पर आठ कमल बने थे, पीली पट्टी पर ‘वन्दे मातरम्’ अंकित था, जबकि लाल पट्टी पर सूरज और चांद के प्रतीक दर्शाए गए थे।

भिकाजी कामा का झंडा, वर्ष 1907

1907 में भारतीय ध्वज में एक महत्वपूर्ण बदलाव हुआ। उसी वर्ष भिकाजी कामा और उनके साथियों ने पेरिस में झंडा फहराया। इस ध्वज में तीन क्षैतिज पट्टियां थीं—ऊपर लाल, बीच में पीली और नीचे हरी। इसमें सात सितारे बनाए गए थे, जो सप्तऋषि का प्रतीक थे। इसके अतिरिक्त ध्वज पर सूर्य और चंद्रमा के चिन्ह भी अंकित थे।

1917: होम रूल आंदोलन में आया झंडा

1917 में होम रूल आंदोलन के दौरान एनी बेसेंट और बाल गंगाधर तिलक ने एक नया ध्वज प्रस्तुत किया। इस ध्वज में कुल नौ पट्टियां थीं—पांच लाल और चार हरी। इसके किनारे पर यूनियन जैक दर्शाया गया था और साथ ही सितारों के प्रतीक भी शामिल किए गए थे।

पिंगली वेंकैया द्वारा 1921 में डिजाइन किया गया ध्वज 

1921 में विजयवाड़ा कांग्रेस अधिवेशन के दौरान पिंगली वेंकैया ने एक नए ध्वज का प्रस्ताव रखा। शुरुआत में इसमें केवल लाल और हरे रंग शामिल थे, लेकिन महात्मा गांधी के सुझाव पर इसमें सफेद रंग भी जोड़ा गया, जो अन्य समुदायों का प्रतीक था। ध्वज के बीच में चरखा रखा गया, जो आत्मनिर्भरता और सशक्तिकरण का प्रतीक माना गया।

भारत को 1931 में मिला आधिकारिक झंडा  

1931 में भारतीय ध्वज में एक महत्वपूर्ण बदलाव किया गया। इस बार लाल रंग की जगह केसरिया रंग अपनाया गया। ध्वज में तीन पट्टियां रखी गईं—केसरिया, सफेद और हरा, और बीच में चरखा अंकित किया गया। इसी वर्ष से इस ध्वज को भारत का आधिकारिक राष्ट्रीय ध्वज माना जाने लगा।

1947: आजाद भारत को मिला तिरंगा

1947 में भारत की आजादी के साथ ही राष्ट्रीय ध्वज में अंतिम बदलाव किया गया। 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा ने इसे स्वतंत्र भारत का राष्ट्रीय ध्वज घोषित किया। इसमें चरखे की जगह नीले रंग का अशोक चक्र (धर्मचक्र) जोड़ा गया, जो सत्य, धर्म और जीवन का प्रतीक माना जाता है।

भारत का तिरंगा

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज, जिसे आमतौर पर तिरंगा कहा जाता है, तीन रंगों—केसरिया, सफेद और हरा—से मिलकर बना है। ध्वज के केंद्र में गहरे नीले रंग का अशोक चक्र स्थित है।

  • केसरिया रंग : साहस और बलिदान का प्रतीक
  • सफेद रंग : शांति और सत्य का प्रतीक
  • हरा रंग : समृद्धि और उर्वरता का प्रतीक
  • अशोक चक्र : धर्म, न्याय और कानून का प्रतीक

अशोक चक्र वास्तव में धर्म के नियमों का चक्र है, जिसमें 24 तीलियां होती हैं। यह चक्र सत्य, न्याय और धर्मनिष्ठा के शाश्वत सिद्धांतों का प्रतिनिधित्व करता है और भारत की इन मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

26 जनवरी 2002 को लागू हुई भारतीय ध्वज संहिता

भारतीय ध्वज संहिता को 26 जनवरी 2002 से लागू किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी प्रकार से राष्ट्रीय ध्वज का अपमान न हो। इस संहिता के अनुसार, ध्वजारोहण के लिए उपयोग होने वाला झंडा आयताकार होना चाहिए और इसकी लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2 होना अनिवार्य है। इसके अलावा, राष्ट्रीय ध्वज पर किसी भी प्रकार का लेखन या चित्रण नहीं होना चाहिए। यदि झंडा क्षतिग्रस्त, कटा-फटा या पुराना है, तो उसका उपयोग करना निषिद्ध है।

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