वर्ण-विचार (Varna Vichar in Hindi Grammar) हिंदी व्याकरण (Hindi Grammar) का एक महत्वपूर्ण भाग है, जिसमें भाषा में प्रयुक्त ध्वनियों (Sounds) अर्थात् “वर्णों” (Letters in Hindi) का गहन अध्ययन किया जाता है। वर्ण वह सबसे छोटी ध्वनि इकाई (Phonetic Unit) होती है, जो किसी शब्द (Word) की रचना में सहायक होती है। हिंदी भाषा में वर्ण दो प्रकार के होते हैं: स्वर (Vowels) जैसे अ, आ, इ, ई और व्यंजन (Consonants) जैसे क, ख, ग, घ आदि। इसके अतिरिक्त, वर्णों को उच्चारण स्थान (Place of Articulation) के आधार पर भी वर्गीकृत किया जाता है, जैसे: कंठ्य (Guttural), तालव्य (Palatal), मूर्धन्य (Retroflex) आदि। वर्ण-विचार में वर्णों की संख्या (Number of Letters), प्रकार (Types of Letters), स्वरूप (Forms) और उच्चारण (Pronunciation) के स्थानों का विशेष रूप से विश्लेषण किया जाता है। यह विषय हिंदी भाषा की नींव को समझने में अत्यंत सहायक है और विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं (Competitive Exams like CTET, UPTET, KVS, DSSSB) के लिए अत्यंत उपयोगी है।
स्वर (Swar in Hindi Grammar)
स्वर (Swar in Hindi Grammar) वे वर्ण होते हैं जिनका उच्चारण (Pronunciation) बिना किसी अन्य वर्ण की सहायता के स्वतः (Independently) हो जाता है। इनका उच्चारण करते समय वायु (Airflow) बिना किसी अवरोध (Obstruction) के मुख से बाहर निकलती है। हिंदी भाषा में कुल 13 स्वर वर्ण (13 Hindi Vowels) होते हैं:
अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ॠ, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अः
इन स्वरों का अध्ययन हिंदी व्याकरण (Hindi Grammar) के वर्ण-विचार (Varna Vichar) खंड में किया जाता है। स्वर हिंदी भाषा की नींव होते हैं और शब्द निर्माण (Word Formation) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह विषय CTET, UPTET, KVS, DSSSB जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं (Competitive Exams) में अक्सर पूछा जाता है।
व्यंजन (Consonants)
व्यंजन (Consonants in Hindi Grammar) वे वर्ण (Letters) होते हैं जिनका उच्चारण (Pronunciation) स्वर की सहायता के बिना संभव नहीं होता। इनके उच्चारण में वायु (Air) कहीं न कहीं रुकती है या बाधित होती है, इसलिए इन्हें स्वर की मदद की आवश्यकता होती है।
हिंदी भाषा में कुल 33 मुख्य व्यंजन वर्ण (33 Consonants in Hindi) माने जाते हैं:
क से म तक – कुल 25 वर्ण
फिर आते हैं: य, र, ल, व, श, ष, स, ह – कुल 8 वर्ण
25 + 8 = 33 व्यंजन वर्ण
व्यंजन वर्णों का अध्ययन वर्ण-विचार (Varna Vichar) के अंतर्गत किया जाता है और ये हिंदी व्याकरण (Hindi Grammar) की संरचना का एक अहम हिस्सा होते हैं। यह विषय CTET, UPTET, KVS, REET, DSSSB जैसी परीक्षाओं में अक्सर पूछा जाता है।
अच् वर्ण (Ach Varna in Hindi Grammar)
परिभाषा:
अच् वर्ण वे ध्वनि वर्ण होते हैं जो बिना किसी अन्य वर्ण की सहायता के स्वयं उच्चरित (independently pronounced) हो सकते हैं।
यह सभी स्वर वर्ण (Vowels) होते हैं।
उदाहरण:
अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ॠ, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अः
इन्हें स्वतंत्र रूप से बोला जा सकता है और इनका उच्चारण करते समय वायु बिना किसी रुकावट के बाहर निकलती है।
अच् वर्णों का अध्ययन वर्ण-विचार (Varna Vichar) के अंतर्गत किया जाता है, जो हिंदी व्याकरण (Hindi Grammar) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
हल् वर्ण (Hal Varna in Hindi Grammar)
परिभाषा:
हल् वर्ण वे वर्ण होते हैं जो स्वयं उच्चारित (Pronounced) नहीं हो सकते और जिनके उच्चारण के लिए स्वर (Vowels) की सहायता की आवश्यकता होती है।
यह सभी व्यंजन वर्ण (Consonants) होते हैं।
उदाहरण:
- क, ख, ग, घ, ङ
- च, छ, ज, झ, ञ
- ट, ठ, ड, ढ, ण
- त, थ, द, ध, न
- प, फ, ब, भ, म
- य, र, ल, व, श, ष, स, ह
कुल 33 मुख्य हल् वर्ण होते हैं।
हल् = व्यंजन = सहायक ध्वनियाँ (Supporting Sounds)
इनका उच्चारण करते समय वायु कहीं न कहीं अवरुद्ध होती है।हल् वर्णों का अध्ययन वर्ण-विचार (Varna Vichar) के अंतर्गत किया जाता है, जो हिंदी व्याकरण (Hindi Grammar) का मूलभूत विषय है।