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उपसर्ग और प्रत्यय: परिभाषा, प्रकार, उदाहरण और उपयोग | Upsarg aur Pratyay in Hindi

उपसर्ग और प्रत्यय

भाषा एक महत्वपूर्ण साधन है जो हमारे विचारों और अभिव्यक्ति को संचालित करने का कार्य करती है। शब्दों का उपयोग शब्द-शक्ति के रूप में जाना जाता है, जहां वे अपनी भूमिका निभाते हैं। उपसर्ग और प्रत्यय (Upsarg aur Pratyay in hindi) भी ऐसे शब्द-शक्ति के हिस्सा हैं जो शब्दों की रचना को विशेषता देते हैं। इस लेख में, हम उपसर्ग और प्रत्यय के महत्व, उपसर्ग और प्रत्यय की परिभाषा (Upsarg aur Pratyay ki definition in hindi), भेद, उदाहरण और उनके उपयोग के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करेंगे। हिंदी व्याकरण पर आधारित ये लेख युक्तियों और विचारों की खोज करने वाले पाठकों के लिए उपयोगी होते हैं।उपसर्ग और प्रत्यय (Upsarg aur Pratyay in hindi) से जुडी सभी जानकारी के लिए इस पूरे लेख को देखें।

उपसर्ग और प्रत्यय शब्द क्या है | Upsarg aur Pratyay ki paribhasha

उपसर्ग और प्रत्यय (Upsarg aur Pratyay ki paribhasha) हिंदी व्याकरण में महत्वपूर्ण अंश हैं। उपसर्ग शब्दों के पहले लगाकर उनके अर्थ में परिवर्तन करते हैं। प्रत्यय शब्दों को अंत में लगाकर शब्दों के अर्थ में परिवर्तन करते हैं। ये शब्दों के रूप, वचन, काल, या अन्य विशेषताओं को संकेतित करने में मदद करते हैं और उनके अर्थ को व्याख्यात करते हैं।

उपसर्ग और प्रत्यय में अंतर | Upsarg aur Pratyay mein antar

  • उपसर्ग और प्रत्यय (Upsarg aur Pratyay in hindi) दोनों ही शब्दों के अवयव होते हैं, परंतु उनमें एक विशिष्ट अंतर होता है।
  • उपसर्ग शब्द के पहले लगाकर दूसरे शब्द का अर्थ बदल देते हैं, जबकि प्रत्यय शब्द के अंत में लगाकर शब्द का अर्थ बदलता है।
  • इन दोनों के माध्यम से हम शब्दों के अर्थ को परिवर्तित करते हैं।
  • यहां हमने सारणी के माध्यम से उपसर्ग और प्रत्यय में अंतर पर चर्चा की है:
उपसर्ग (Upsarg)प्रत्यय (Pratyay)अंतर (Difference)
उपसर्ग शब्द के मूल शब्द के पहले जोड़े जाते हैं ताकि उसका अर्थ परिवर्तित हो सके।प्रत्यय शब्द के मूल शब्द के बाद जोड़े जाते हैं ताकि उसका व्याकरणिक या संदर्भिक अर्थ बदला जा सके।उपसर्ग मुख्य रूप से शब्द के अर्थ को संशोधित करते हैं, जबकि प्रत्यय अधिकतर व्याकरणिक पहलुओं में सहायक होते हैं।
उपसर्ग शब्द का अर्थ बड़े परिवर्तन के साथ बदल सकता है।प्रत्यय शब्द के काल, कारक, लिंग, वचन आदि को बदल सकते हैं।उपसर्ग बड़े परिवर्तन के साथ नए शब्द बना सकते हैं। प्रत्यय आमतौर पर मौजूदे शब्द को विभिन्न संदर्भों में उपयुक्त बनाने के लिए उपयोग होते हैं।
उदाहरण: “उपागम” (मूल शब्द) का अर्थ “निकट जाना” होता है, जहाँ “उप-” उपसर्ग है।उदाहरण: “बालक” (मूल शब्द) का अर्थ “बच्चा” होता है, और “बालका” में “-का” प्रत्यय है।उपसर्ग आमतौर पर शब्द की शुरुआत में जोड़े जाते हैं, जबकि प्रत्यय शब्द के अंत में जोड़े जाते हैं।
उपसर्ग मिलाने से संयुक्त शब्द बनाए जा सकते हैं।प्रत्यय शब्द के विकल्प और विकृतियों में मदद करते हैं।उपसर्ग शब्द के क्रिया या स्थिति के बारे में अतिरिक्त जानकारी प्रदान करते हैं। प्रत्यय शब्द को शब्द के विशिष्ट गुण या विशेषताओं की ओर संकेत करते हैं।
उपसर्ग मुख्य रूप से संयोजन शब्द बनाने में मदद करते हैं।प्रत्यय विकर्मण और विभक्तियों में सहायक होते हैं।उपसर्ग अधिकतम अर्थ और अवधारणा के साथ जुड़े होते हैं। प्रत्यय व्याकरणिक संरचना और विवरणों पर अधिक ध्यान देते हैं।

उपसर्ग क्या है? | What is Upsarg in Hindi

  • उपसर्ग (What is Upsarg in Hindi) संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘ऊपर या संलग्न होना’।
  • हिंदी व्याकरण में, उपसर्ग एक शब्दांश है जो किसी मूल शब्द के पहले जुड़कर उसके अर्थ को बदलता है या बढ़ाता है।
  • उपसर्ग शब्दों के साथ जुड़कर उनका अर्थ बदलकर नए शब्द बनाते हैं।
  • यह शब्दांश अक्सर पूर्ववर्ती शब्द से अलग रचना का कारण बनते हैं। उपसर्ग के उदाहरण में ‘अ’, ‘अण’, ‘अदि’, ‘अभि’, ‘अनु’, ‘अवि’ आदि शामिल होते हैं।

उपसर्ग के भेद | Upsarg ke bhed

उपसर्गों के विभिन्न प्रकार होते हैं, जो निम्नलिखित हैं:

1. प्रातिपदिक उपसर्ग

  • ये उपसर्ग संज्ञा या विशेषण के प्रारंभिक रूप के साथ जुड़कर उसका विशेषाधिकार का निर्माण करते हैं।
  • इस प्रकार के उपसर्गों के उदाहरण हैं: ‘प्राचीन’, ‘पुराना’, ‘नया’ आदि।

2. क्रियाविशेषण उपसर्ग

  • ये उपसर्ग क्रियाओं के साथ जुड़कर उन्हें परिभाषित या प्रतिष्ठित करते हैं।
  • उपसर्गों की यह श्रेणी उत्पन्न क्रियाएं नई बनाती हैं। इस प्रकार के उपसर्गों के उदाहरण हैं: ‘विद्या’, ‘बुद्धि’, ‘दुर्दिन’ आदि।

3. उपसर्ग समानार्थक शब्द

  • ये उपसर्ग दूसरे शब्दों के समानार्थक रूप होते हैं और उनके साथ जुड़कर उनकी अर्थ विशेषता या परिवर्तन करते हैं।
  • इस प्रकार के उपसर्गों के उदाहरण हैं: ‘अविमान’, ‘अपात्र’, ‘असुविधा’ आदि।

प्रत्यय क्या है? | What is Pratyay in Hindi

  • प्रत्यय शब्द (What is Pratyay in Hindi) संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘पक्ष या प्रकार’। प्रत्यय ​(What is Pratyay in Hindi) व्याकरण में एक शब्दांश है जो मूल शब्द के अन्त में जुड़कर उसके अर्थ को बदलता है या विस्तारित करता है।
  • प्रत्यय से नए शब्द बनाए जा सकते हैं और उसकी विशेषता को दर्शाया जा सकता है। प्रत्ययों के उदाहरण हैं: ‘त्व’, ‘ता’, ‘त्वा’, ‘तुम’, ‘ता’ आदि।
  • प्रत्यय हिंदी व्याकरण में महत्वपूर्ण हिस्सा है। ये शब्दों के अंत में जोड़कर उनके अर्थ में परिवर्तन करते हैं।
  • प्रत्यय ​(What is Pratyay in Hindi) शब्दों का प्रयोग शब्दों के रूप, वचन, काल, गुण, अव्यय और अन्य विशेषताओं को संकेतित करने में किया जाता है। इससे हम शब्दों के अर्थ और व्याख्यान को सुगम और संगठित बना सकते हैं।

उपसर्ग और प्रत्यय के उदाहरण | Examples of Upsarg aur Pratyay in Hindi 

आइए कुछ उपसर्ग और प्रत्यय के उदाहरण देखें:

उपसर्ग के उदाहरण | Upsarg ke example in hindi

  • अति : अत्यंत , अत्याचार, अतिरिक्त , अतिक्रमण, अतिशय
  • अनु: अनुभव, अनुभूति, अनुकरण, अनुरोध, अनुशासन 
  • अप: अपयश, अपमान, अपशब्द, अपहरण, अपवाद
  • अव: अवसान, अवसर, अवकाश, अवनति, अवगुण
  • आ : आहार, आजीवन, आगमन, आदान
  • उप : उपवन, उपकार, उपनगर, उपचार, उपदेश, उपनगर
  • प्रति: प्रतिरूप, प्रतिकूल, प्रतिनिधि, प्रतिवादी
  • सह: सहपाठी, सहमति, सहकारी, सहचर, सहयोग
  • चिर: चिरजीवी, चिरकाल, चिरायु 
  • सु: सुगम, सुबोध, सुलभ, सुजान
  • वि: वियोग, विनाश, विदेश, विकार, विज्ञान
  • सम: समकोण, समकालीन, समकालिक

उपसर्ग के वाक्य प्रयोग:

  1. उपगम (Upagam) – गम (आना) के अर्थ में यहाँ “उप-” उपसर्ग है, जिससे शब्द का अर्थ “निकट आना” होता है।
  2. अपातकाल (Apatakala) – तकाल (वक्त) के अर्थ में यहाँ “अप-” उपसर्ग है, जिससे शब्द का अर्थ “अनुपस्थित वक्त” होता है।

प्रत्यय के उदाहरण | Pratyay ke example in hindi

  • क : गायक, सेवक, नायक, पाठक 
  • ता: नेता, अभिनेता, विक्रेता 
  • ना: लिखना, पढ़ना
  • आन: उड़ान, मिलान, उठान, पहचान
  • आई: पढ़ाई, लिखाई, मिठाई, बुराई
  • ना : खाना, पीना
  • ई: हंसी, बोली, गरीबी, अमीरी, रईसी
  • पा: बुढ़ापा, मोटापा
  • आर: सुनार, लुहार
  • वान: धनवान, गाड़ीवान
  • गर: जादूगर , सौदागर
  • इया: डिबिया, खटिया, बिटिया, लठिया 
  • आस: मिठास, खटास
  • ला: अगला, पिछला, निचला
  • पन : अपनापन, बचपन, पीलापन 
  • आहट: घबराहट, चिकनाहट
  • आकू: लड़ाकू, पढ़ाकू
  • आवट : मिलावट, बनावट, सजावट, लिखावट
  • इयल: मरियल, अड़ियल
  • आक : तैराक, उड़ाक

प्रत्यय के वाक्य प्रयोग:

  1. पुस्तकालय (Pustakalaya) – आलय (जगह) के अर्थ में यहाँ “-कालय” प्रत्यय है, जिससे शब्द का अर्थ “किताबों की जगह” होता है।
  2. परिश्रमिक (Parishramik) – श्रम (कठिनाइयों का प्रयास) के अर्थ में यहाँ “-श्रमिक” प्रत्यय है, जिससे शब्द का अर्थ “कठिनाइयों का प्रयास करने वाला” होता है।

उपसर्ग और प्रत्यय का उपयोग | Upsarg aur Pratyay ka upyog

  • उपसर्ग और प्रत्यय भाषा को व्यापक बनाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं।
  • ये शब्दांश शब्दों को विस्तृत करने और उन्हें अधिक परिवर्तनशील बनाने में मदद करते हैं। वे वाक्यों को सुंदरता और विस्तार देते हैं और भाषा के प्रभाव को बढ़ाते हैं।
  • आइये उपसर्ग और प्रत्यय के उपयोग को विस्तार से समझते हैं: 

उपसर्ग (Upsarg) का उपयोग:

  1. अर्थ में परिवर्तन: उपसर्ग शब्द के अर्थ को परिवर्तित करते हैं, जो शब्द का मूल अर्थ बदल देते हैं। उपसर्ग के प्रयोग से शब्द के अर्थ में महत्वपूर्ण परिवर्तन होता है।
  2. नए शब्दों का निर्माण: उपसर्ग शब्दों का निर्माण करने में मदद करते हैं, जिनका अर्थ पूर्णत: नया होता है। इससे भाषा में विस्तार होता है।

प्रत्यय (Pratyay) का उपयोग:

  1. विभक्ति और वचन की परिवर्तन: प्रत्यय के प्रयोग से शब्द के विभक्ति (क्रिया का प्रकार) और वचन (क्रिया के व्यक्ति) में परिवर्तन होता है।
  2. संज्ञा, विशेषण आदि के निर्माण: प्रत्यय के द्वारा संज्ञा, विशेषण, क्रिया आदि के अद्भुत नए रूप बनाए जाते हैं, जो वाक्य को अधिक संवादात्मक बनाते हैं।
  3. काल, क्रिया के प्रकार, पर्यायवाची शब्दों का निर्माण: प्रत्यय के प्रयोग से काल (भूतकाल, वर्तमानकाल, भविष्यकाल), क्रिया के प्रकार (कर्तरी, भावरी, सेतु) और पर्यायवाची शब्दों का निर्माण होता है।
  4. संबंधवाचक शब्दों का निर्माण: प्रत्यय से संबंधवाचक शब्दों का निर्माण होता है जो वाक्य में विविध धाराएँ प्रकट करते हैं।

संस्कृत के उपसर्ग (तत्सम) | Upsarg in Sanskrit (Tatsam)

  • संस्कृत में “तत्सम उपसर्ग” एक प्रकार के उपसर्ग होते हैं जो सम्बन्धित संस्कृत शब्द के समान या आदर्श रूप में प्रयुक्त होते हैं।
  • ये उपसर्ग संस्कृत शब्दों के मूल अर्थ को प्रकार के आधार पर परिवर्तित नहीं करते हैं, बल्कि वे उनके आदर्श या समान रूप को दर्शाते हैं।

यहाँ कुछ संस्कृत उपसर्गों के उदाहरण दिए जा रहे हैं:

संस्कृत के उपसर्ग (तत्सम) 

उपसर्गअर्थउपसर्ग से बने शब्द
अतिअधिक, ऊपर, उस पारअतिकाल, अत्याचार, अतिकर्मण, अतिरिक्त, अतिशय, अत्यन्त, अत्युक्ति, अतिक्रमण, इत्यादि 
अधिऊपर, श्रेष्ठअधिकरण, अधिकार, अधिराज, अध्यात्म, अध्यक्ष, अधिपति इत्यादि।
अपबुरा, अभाव, हीनता, विरुद्धअपकार, अपमान, अपशब्द, अपराध, अपहरण, अपकीर्ति, अपप्रयोग, अपव्यय, अपवाद इत्यादि।
अभावअज्ञान, अधर्म, अस्वीकार इत्यादि।
अनुपीछे, समानता, क्रम, पश्र्चातअनुशासन, अनुज, अनुपात, अनुवाद, अनुचर, अनुकरण, अनुरूप, अनुस्वार, अनुशीलन इत्यादि।
ओर, सीमा, समेत, कमी, विपरीतआकाश, आदान, आजीवन, आगमन, आरम्भ, आचरण, आमुख, आकर्षण, आरोहण इत्यादि।
अवहीनता, अनादर, पतनअवगत, अवलोकन, अवनत, अवस्था, अवसान, अवज्ञा, अवरोहण, अवतार, अवनति, अवशेष, इत्यादि।
उपनिकटता, सदृश, गौण, सहायक, हीनताउपकार, उपकूल, उपनिवेश, उपदेश, उपस्थिति, उपवन, उपनाम, उपासना, उपभेद इत्यादि।
निभीतर, नीचे, अतिरिक्तनिदर्शन, निपात, नियुक्त, निवास, निरूपण, निवारण, निम्र, निषेध, निरोध, निदान, निबन्ध इत्यादि।
निर्बाहर, निषेध, रहितनिर्वास, निराकरण, निर्भय, निरपराध, निर्वाह, निर्दोष, निर्जीव, निरोग, निर्मल इत्यादि।
पराउलटा, अनादर, नाशपराजय, पराक्रम, पराभव, परामर्श, पराभूत इत्यादि।
परिआसपास, चारों ओर, पूर्णपरिक्रमा, परिजन, परिणाम, परिधि, परिपूर्ण इत्यादि।
प्रअधिक, आगे, ऊपर, यशप्रकाश, प्रख्यात, प्रचार, प्रबल, प्रभु, प्रयोग, प्रगति, प्रसार, प्रयास इत्यादि।
प्रतिविरोध, बराबरी, प्रत्येक, परिवर्तनप्रतिक्षण, प्रतिनिधि, प्रतिकार, प्रत्येक, प्रतिदान, प्रतिकूल, प्रत्यक्ष इत्यादि।
विभित्रता, हीनता, असमानता, विशेषताविकास, विज्ञान, विदेश, विधवा, विवाद, विशेष, विस्मरण, विराम, वियोग, विभाग, विकार, विमुख, विनय, विनाश इत्यादि।
सम्पूर्णता, संयोगसंकल्प, संग्रह, सन्तोष, संन्यास, संयोग, संस्कार, संरक्षण, संहार, सम्मेलन, संस्कृत, सम्मुख, संग्राम इत्यादि।
सुसुखी, अच्छा भाव, सहज, सुन्दरसुकृत, सुगम, सुलभ, सुदूर, स्वागत, सुयश, सुभाषित, सुवास, सुजन इत्यादि।
अधआधे के अर्थ मेंअधजला, अधपका, अधखिला, अधमरा, अधसेरा इत्यादि।
अ-अननिषेध के अर्थ मेंअमोल, अपढ़, अजान, अथाह, अलग, अनमोल, अनजान इत्यादि।
उनएक कमउत्रीस, उनतीस, उनचास, उनसठ, उनहत्तर इत्यादि।
हीनता, निषेधऔगुन, औघट, औसर, औढर इत्यादि।
दुबुरा, हीनदुकाल, दुबला इत्यादि।
निनिषेध, अभाव, विशेषनिकम्मा, निखरा, निडर, निहत्था, निगोड़ा इत्यादि।
बिननिषेधबिनजाना, बिनब्याहा, बिनबोया, बिनदेखा, बिनखाया, बिनचखा, बिनकाम इत्यादि।
भरपूरा, ठीकभरपेट, भरसक, भरपूर, भरदिन इत्यादि।
कु-कबुराई, हीनताकुखेत, कुपात्र, कुकाठ, कपूत, कुढंग इत्यादि।

हिन्दी के उपसर्ग (तद्भव) | Upsarg in Hindi (Tadbhav)

  • हिंदी भाषा में तद्भव उपसर्ग महत्वपूर्ण हैं। ये उपसर्ग हिंदी भाषा के मूल शब्दों से प्राप्त होते हैं और उनका अर्थ बदलते हैं।
  • तद्भव उपसर्ग शब्दों का प्रयोग शब्दों के अर्थ को संदर्भित करने में किया जाता है और इससे हिंदी भाषा को और समृद्ध बनाने का कार्य होता है।

यहाँ कुछ हिंदी उपसर्गों के उदाहरण दिए जा रहे हैं:

हिन्दी के उपसर्ग (तद्भव उपसर्ग)

उपसर्गअर्थउपसर्ग से बने शब्द
अननिषेध अर्थ मेंअनमोल, अलग, अनजान, अनकहा, अनदेखा इत्यादि।
अध्आधे अर्थ मेंअधजला, अधखिला, अधपका, अधकचरा, अधकच्चा, अधमरा इत्यादि।
उनएक कमउनतीस, उनचास, उनसठ, इत्यादि।
भरपूरा ,ठीकभरपेट, भरपूर, भरदिन इत्यादि।
दुबुरा, हीन, विशेषदुबला, दुर्जन, दुर्बल, दुकाल इत्यादि।
निआभाव, विशेषनिगोड़ा, निडर, निकम्मा इत्यादि।
अभाव, निषेधअछूता, अथाह, अटल
बुरा, हीनकपूत, कचोट
कुबुराकुचाल, कुचैला, कुचक्र
अवहीन, निषेधऔगुन, औघर, औसर, औसान
भरपूराभरपेट, भरपूर, भरसक, भरमार
सुअच्छासुडौल, सुजान, सुघड़, सुफल
परदूसरा, बाद कापरलोक, परोपकार, परसर्ग, परहित
बिनबिना, निषेधबिनब्याहा, बिनबादल, बिनपाए, बिनजाने

उर्दू के उपसर्ग | Upsarg in Urdu

  • उर्दू भाषा में उपसर्गों का महत्वपूर्ण स्थान है। ये उपसर्ग शब्दों के पहले जोड़कर उनके अर्थ को परिवर्तित करते हैं।
  • उर्दू भाषा में उपसर्गों का प्रयोग शब्दों के व्याख्यान, वाक्य संरचना और अर्थ को समझने में किया जाता है।
  • इससे उर्दू भाषा को और समृद्ध बनाने का कार्य होता है।

यहाँ कुछ उर्दू के उपसर्गों के उदाहरण दिए जा रहे हैं:

उर्दू के उपसर्ग

उपसर्गअर्थउपसर्ग से बने शब्द
लाबिनालाचार, लाजवाब, लापरवाह, लापता इत्यादि।
बदबुराबदसूरत, बदनाम, बददिमाग, बदमाश, बदकिस्मत इत्यादि।
बेबिनाबेकाम, बेअसर, बेरहम, बेईमान, बेरहम इत्यादि।
कमथोड़ा, हीनकमसिन, कामखयाल, कमज़ोर, कमदिमाग, कमजात, इत्यादि।
ग़ैरके बिना, निषेधगैरकानूनी, गैरजरूरी, ग़ैर हाज़िर, गैर सरकारी, इत्यादि।
खुशश्रेष्ठता के अर्थ मेंखुशनुमा, खुशगवार, खुशमिज़ाज, खुशबू, खुशदिल, खुशहाल इत्यादि।
नाअभावनाराज, नालायक, नादनामुमकिन, नादान, नापसन्द, नादान इत्यादि।
अलनिश्र्चितअलबत्ता, अलगरज आदि।
बरऊपर, पर, बाहरबरखास्त, बरदाश्त, बरवक्त इत्यादि।
बिलके साथबिलआखिर, बिलकुल, बिलवजह
हमबराबर, समानहमउम्र, हमदर्दी, हमपेशा इत्यादि।
दरमेंदरअसल, दरहक़ीक़त
फिल/फीमें प्रतिफिलहाल, फीआदमी
और, अनुसारबनाम, बदौलत, बदस्तूर, बगैर
बासहितबाकायदा, बाइज्जत, बाअदब, बामौक़ा
सरमुख्यसरताज, सरदार, सरपंच, सरकार
बिलाबिनाबिलावजह, बिलाशक
हरप्रत्येकहरदिन हरसाल हरएक हरबार

अंग्रेजी के उपसर्ग | Upsarg in English

  • अंग्रेजी भाषा में उपसर्गों का महत्वपूर्ण योगदान है।
  • ये उपसर्ग शब्दों के पहले जोड़कर उनके अर्थ को परिवर्तित करते हैं।
  • अंग्रेजी भाषा में उपसर्गों का प्रयोग शब्दों के व्याख्यान, वाक्य रचना, भाषा के तत्वों को समझने और शब्दावली को विस्तृत करने में किया जाता है।
  • इससे अंग्रेजी भाषा को और समृद्ध बनाने का कार्य होता है।

यहाँ कुछ अंग्रेजी के उपसर्गों के उदाहरण दिए जा रहे हैं:

अंग्रेज़ी के उपसर्ग 

उपसर्गअर्थउपसर्ग से बने शब्द
सबअधीन, नीचेसब-जज, सब-कमेटी, सब-इंस्पेक्टर
डिप्टीसहायकडिप्टी-कलेक्टर, डिप्टी-रजिस्ट्रार, डिप्टी-मिनिस्टर
वाइससहायकवाइसराय, वाइस-चांसलर, वाइस-पप्रेसीडेंट
जनरलप्रधानजनरल मैनेजर, जनरल सेक्रेटरी
चीफप्रमुखचीफ-मिनिस्टर, चीफ-इंजीनियर, चीफ-सेक्रेटरी
हेडमुख्यहेडमास्टर, हेड क्लर्क

कृत् प्रत्यय | Krit Pratyaye in Hindi

  • कृत् प्रत्यय हिंदी व्याकरण में एक प्रमुख प्रत्यय है। यह शब्दों के अंत में जोड़कर उनके अर्थ में परिवर्तन करता है।
  • कृत् प्रत्यय शब्दों का प्रयोग कार्य, कर्म, करण, कर्तव्य, भाव, स्थान, दशा आदि की सूचना देने में होता है।
  • यह हिंदी भाषा को समृद्ध और संवेदनशील बनाने का महत्वपूर्ण तत्व है।

कृत प्रत्यय के उदाहरण

  1. अक्कड़,
  2. आई,
  3. आलू,
  4. आऊ,
  5. अंकू,
  6. आका,
  7. आका,
  8. आन,
  9. आनी,
  10. आप,
  11. आवट,
  12. आवना,
  13. आवा,
  14. आहट,
  15. इयल,
  16. इया,
  17. उ, आदि कृत प्रत्यय के उदाहरण हैं। 

तद्धित प्रत्यय | Tadhit Pratyaye in Hindi

  • तद्धित प्रत्यय हिंदी व्याकरण में एक महत्वपूर्ण प्रत्यय है।
  • यह शब्दों के अंत में जोड़कर उनके अर्थ में परिवर्तन करता है।
  • तद्धित प्रत्यय शब्दों का प्रयोग जाति, भाषा, गोत्र, संबंध, युग, स्थान, आवास, रूप, नाम आदि की जानकारी देने में होता है। इससे भाषा का अधिक संवेदनशील और विस्तृत होता है।
  • उदाहरण : धन (शब्द) वान् (प्रत्यय) = धनवान् (तद्धितान्त), लुहार, बुढ़ापा, बहनोई, आदि। 

उपसर्गों के उदाहरण | Upsarg Examples

यहां कुछ उपसर्गों के उदाहरण हैं: अधिक, अपना, अभी, अन्य, आदि, आधा, आप, इन, इन्हें, उन, उनका, उस, उसका, एक, औरत, कई, कम, कर, काफी, कुछ, कोई, गैर, घर, चाहिए, जब, जो, तक, तब, तरह, दिन, नहीं, पूरा, प्रति, बढ़, बहुत, भीतर, मुख्य, यदि, रात, लिए, सबसे, सारे, हमारा, हमारे, हो, संग, सब, सबका, सभी, साथ, ही, हुआ।

प्रत्ययों के उदाहरण | Pratyaye Examples

यहां कुछ प्रत्ययों के उदाहरण हैं: ता, तर, तव, यक, वाद, कर, कृत, युक्त, त्व, त्वा, त्वी, त्वु, नी, यन, यान, वति, ता, द्वारा, करण, तव्य, कार, पत्र, योग, युग, कर्तव्य, निष्ठा, सम्पन्न, संग्रह, ग्राम, कुल, सूची, सृजन, वाणी, योग्य, यापन, दान, शास्त्र, दर्शन, सौभाग्य, निष्कासित, विद्या, अभियांत्रिकी, प्रक्रिया, आलय, संगठन, निधि, नाम, विज्ञान, रचना, सज्जन, योग्यता।

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