ग्लेशियर (Glacier) बर्फ के रूप में पानी का एक विशाल और स्थायी संचय होता है, जो जमीन पर बनता है और गुरुत्वाकर्षण (Gravity) के प्रभाव से नीचे की ओर खिसकता है। ये ग्लेशियर जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के प्रमुख संकेतक (Indicators) माने जाते हैं और सामान्यतः बर्फीले मैदानों व पर्वतीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं। वर्तमान में पृथ्वी की सतह का लगभग 10% हिस्सा ग्लेशियरों से ढका हुआ है और ये पृथ्वी के कुल मीठे जल का लगभग 2.1% हिस्सा बनाते हैं, जबकि शेष 97.2% जल महासागरों और अंतर्देशीय समुद्रों में स्थित है। ग्लेशियर UPSC परीक्षा (Glaciers for UPSC in Hindi) के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण टॉपिक है, जो सामान्य अध्ययन पेपर 1 (General Studies Paper 1) में भूगोल (Geography) के अंतर्गत पूछा जाता है।
यह विषय न केवल भू-आकृतिक अध्ययन (Geomorphology) में सहायक है, बल्कि जलवायु विज्ञान, पर्यावरणीय परिवर्तन और भारत के प्रमुख ग्लेशियरों जैसे सियाचिन, गंगोत्री, ज़ेमू आदि की जानकारी के लिए भी उपयोगी है। इस लेख में हम ग्लेशियरों की परिभाषा, उनके प्रकार (Types of Glaciers), हिमनदी भू-आकृतियाँ (Glacial Landforms), जलवायु परिवर्तन पर प्रभाव, और भारत में स्थित प्रमुख ग्लेशियरों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
What is a Glacier in Hindi (UPSC) | ग्लेशियर क्या है?
ग्लेशियर (Glacier) बर्फ का एक विशाल और बारहमासी संचय होता है, जो अपने भारी वजन के कारण धीरे-धीरे नीचे की ओर खिसकता है। ये ग्लेशियर ठंडी जलवायु वाले क्षेत्रों में स्नो लाइन (Snow Line) से ऊपर जमा बर्फ के धीरे-धीरे सघन होने से बनते हैं। बर्फ की परतें पहले दानेदार बर्फ या नेव (Névé or Firn) में तब्दील होती हैं, जो बाद में ठोस हिमनद (Glacial Ice) बन जाती हैं। विश्व में ग्लेशियरों की संख्या लगभग 70,000 से 2,00,000 के बीच है। ग्लेशियर मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं: पर्वतीय या घाटी ग्लेशियर (Mountain/Valley Glaciers) और महाद्वीपीय ग्लेशियर (Continental Glaciers)। ये ग्लेशियर जलवायु परिवर्तन के महत्वपूर्ण संकेतक हैं और UPSC भूगोल (Geography) की तैयारी के लिए आवश्यक विषय हैं।
ग्लेशियर से संबंधित प्रमुख तथ्य और प्रकार | Glacier Facts & Types
| विषय (Topic) | विवरण (Description) | कीवर्ड (Keywords) |
| ग्लेशियर क्या है? | बर्फ का बड़ा संचय जो अपने वजन के कारण नीचे खिसकता है। | Glacier in Hindi, ग्लेशियर UPSC |
| स्नो लाइन (Snow Line) | वह ऊंचाई जहाँ वर्ष भर बर्फ जमा रहती है। | Snow Line, Snow Line UPSC |
| नेव / फिरन (Névé or Firn) | दानेदार बर्फ का वह रूप जो ठोस हिमनद में बदलता है। | Névé, Firn, Firn UPSC |
| ग्लेशियरों की संख्या | विश्व में लगभग 70,000 से 2,00,000 ग्लेशियर मौजूद हैं। | Number of Glaciers, Global Glaciers UPSC |
| प्रकार (Types of Glaciers) | 1. पर्वतीय/घाटी ग्लेशियर (Mountain/Valley Glaciers)2. महाद्वीपीय ग्लेशियर (Continental Glaciers) | Types of Glaciers, Valley Glacier, Continental Glacier UPSC |
| महत्व (Importance) | जलवायु परिवर्तन के संकेतक और भूगोल का महत्वपूर्ण हिस्सा। | Importance of Glaciers, Climate Change UPSC |
ग्लेशियर कैसे बनते हैं? | How Are Glaciers Formed? (ग्लेशियर Formation, UPSC Geography)
ग्लेशियर (Glacier) बर्फ का एक विशाल और स्थायी संचय (permanent accumulation of ice) है, जो ठंडी जलवायु (cold climate) वाले क्षेत्रों में वर्षों तक बर्फ के जमा होने (snow accumulation) और दबाव (pressure) के कारण धीरे-धीरे सघन हिमनद (compact ice mass) में बदल जाता है। यह प्राकृतिक भू-आकृतिक प्रक्रिया (natural geomorphological process) तब होती है जब किसी क्षेत्र में जमा होने वाली बर्फ की मात्रा (snowfall) पिघलने वाली बर्फ (melting snow) से अधिक हो। ग्लेशियर निर्माण (glacier formation) जलवायु (climate), तापमान (temperature), और वर्षा (precipitation) जैसे कारकों पर निर्भर करता है।
UPSC, IAS, और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए ग्लेशियर से संबंधित यह ज्ञान सामान्य अध्ययन (Geography General Studies) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। नीचे ग्लेशियर बनने की प्रमुख आवश्यकताएँ और प्रक्रियाएँ (key conditions and processes) हिंदी और अंग्रेज़ी कीवर्ड्स के साथ प्रस्तुत हैं।
ग्लेशियर बनने की मुख्य प्रक्रियाएँ और आवश्यकताएँ:
- अधिक बर्फ का संचय: ग्लेशियर उन क्षेत्रों में बनते हैं जहाँ हर साल पिघलने वाली बर्फ की तुलना में अधिक बर्फ जमा होती है।
- फर्निफिकेशन प्रक्रिया (Firnification): जमा हुई बर्फ संपीड़ित होकर दानेदार सघन बर्फ यानी ‘फर्न’ (Firn) में बदलती है। इस संघनन प्रक्रिया को फर्निफिकेशन कहते हैं।
- तापमान का प्रभाव: क्षेत्र का औसत वार्षिक तापमान हिमांक बिंदु (Freezing Point) के करीब होना चाहिए ताकि बर्फ पिघलने के बजाय जमा हो।
- पर्याप्त वर्षा: क्षेत्र में पर्याप्त मात्रा में बर्फ गिरनी चाहिए जिससे बर्फ का सतत संचय बना रहे।
- तापमान में स्थिरता: वर्ष भर तापमान में उतार-चढ़ाव ऐसे न हों कि पिछले साल जमा बर्फ का स्तर घटे या खत्म हो जाए।
- बर्फ की ऊंचाई: जब बर्फ लगभग 160 फीट की ऊँचाई तक पहुंच जाती है, तो वह ठोस हिमनद में परिवर्तित हो जाती है।
- ग्लेशियर का प्रवाह: ग्लेशियर का प्रवाह उसके आधार की तुलना में मध्य भाग में अधिक तीव्र होता है क्योंकि यहाँ बर्फ कम घनी होती है और गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव में अधिक तेज़ी से बहती है।
Types of Glaciers (UPSC Geography, Glacier Types in Hindi) | ग्लेशियरों के प्रकार
ग्लेशियर (Glacier) पृथ्वी पर बर्फ का स्थायी और विशाल संचय (permanent ice mass) होते हैं जो विभिन्न आकारों और रूपों में पाए जाते हैं। ये ग्लेशियर अपनी उत्पत्ति, आकार, स्थान और भौगोलिक स्थिति के आधार पर कई प्रकारों में वर्गीकृत किए जा सकते हैं। प्रत्येक प्रकार के ग्लेशियर की अपनी विशेषताएँ (characteristics) और भौगोलिक महत्व (geographical significance) होती है, जो UPSC जैसे प्रतियोगी परीक्षाओं में सामान्य अध्ययन के भूगोल विषय के लिए आवश्यक है। नीचे ग्लेशियरों के प्रमुख प्रकारों का सारणीबद्ध विवरण दिया गया है, जिसमें हिंदी व अंग्रेज़ी कीवर्ड्स का समावेश किया गया है।
| ग्लेशियर का प्रकार (Type of Glacier) | परिभाषा और विशेषताएँ (Definition & Features) | प्रमुख उदाहरण (Key Examples) |
| बर्फ की चादरें (Ice Sheets) | पृथ्वी की सबसे बड़ी बर्फ की चादरें, हजारों वर्ग किलोमीटर में फैली होती हैं और अंतर्निहित स्थलाकृति को जलमग्न करती हैं। | अंटार्कटिका, ग्रीनलैंड Ice Sheet |
| महाद्वीपीय ग्लेशियर (Continental Glaciers) | महाद्वीप के बड़े हिस्सों को कवर करते हैं, केंद्र से बाहर की ओर फैलते हैं। | अंटार्कटिक ग्लेशियर, ग्रीनलैंड ग्लेशियर |
| पर्वतीय ग्लेशियर (Mountain/Valley Glaciers) | पर्वतीय क्षेत्रों में घाटियों के माध्यम से गुरुत्वाकर्षण से नीचे बढ़ते हैं। | रूपल, सियाचिन, केदारनाथ ग्लेशियर |
| पीडमोंट ग्लेशियर (Piedmont Glaciers) | कई पर्वतीय ग्लेशियरों के टकराने से तलहटी क्षेत्र में बनते हैं। | अलास्का का मालास्पिना ग्लेशियर |
| बर्फ की चट्टान (Ice Shelves) | तट से जुड़ी मोटी, तैरती हुई बर्फ की चादरें, जो समुद्र के ऊपर फैली होती हैं। | रॉस Ice Shelf (Antarctica) |
| बर्फ क्षेत्र (Ice Fields) | समतल क्षेत्रों में बर्फ की विशाल चादरें जो बर्फ की चादरों का समूह होती हैं। | – |
| सर्क ग्लेशियर (Cirque Glaciers) | पहाड़ों की चोटियों या गड्ढों में जमा छोटी ग्लेशियरें। | – |
| आला ग्लेशियर (Niche Glaciers) | छोटे ग्लेशियर जो ढलानों पर स्थित होते हैं। | – |
| ध्रुवीय ग्लेशियर (Polar Glaciers) | पूरे वर्ष हिमांक से नीचे रहने वाले ग्लेशियर। | अंटार्कटिका के ग्लेशियर |
| शीतोष्ण हिमनद (Temperate Glaciers) | पिघलने बिंदु के करीब ग्लेशियर, जिनमें तरल जल सह-अस्तित्व में होता है। | यूरोप, अमेरिका के ग्लेशियर |
Glacial Landforms | हिमानी भू-आकृतियाँ
हिमानी भू-आकृतियाँ ग्लेशियरों की गतिशील प्रकृति का परिणाम हैं जो धरती की सतह पर अपरदन (Erosion) और निक्षेपण (Deposition) की प्रक्रियाएं संचालित करते हैं। ये भू-आकृतियाँ भूगोल और पर्यावरण विज्ञान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और UPSC, भौगोलिक प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण विषय हैं। हिमानी भू-आकृतियाँ दो मुख्य प्रकार की होती हैं: अपरदनकारी भू-आकृतियाँ (Erosional Landforms) और निक्षेपण भू-आकृतियाँ (Depositional Landforms)। ये भू-आकृतियाँ ग्लेशियर की गति, आकार और पिघलने की प्रक्रिया से जुड़ी होती हैं, जो हिमालय जैसे क्षेत्रों में विशेष रूप से देखी जाती हैं। नीचे इन दोनों प्रकारों की प्रमुख भू-आकृतियों का सारांश तालिका के रूप में दिया गया है:
अपरदनकारी भू-आकृतियाँ (Erosional Landforms)
| भू-आकृति (Landform) | परिभाषा और विशेषताएँ (Definition & Features) | प्रमुख उदाहरण (Key Examples) |
| ग्लेशियल घाटी (Glacial Valley) | यू-आकार की घाटियाँ, चौड़ी और खड़ी दीवारों वाली, जिनमें हिमोढ़ मलबा होता है। | हिमालय की घाटियाँ |
| सर्क (Cirque) | हिमाच्छादित बेसिन, खड़ी दीवारों वाली, सर्क झीलें बनाती हैं। | हिमालय, यूरोप के पर्वतीय क्षेत्र |
| सींग (Horn) | तीन या अधिक सर्क ग्लेशियरों के टकराने से बनी नुकीली और ऊँची चोटियाँ। | माउंट एल्ब्रस (रूस), माउंट मैकिन्ले (अमेरिका) |
| दाँतेदार सींग (Arete) | सर्पिल रूप में काटी गई पतली और नुकीली रिज। | स्कॉटलैंड, अल्पाइन क्षेत्र |
| फियोर्ड (Fjord) | समुद्र में डूबी हुई ग्लेशियल घाटियाँ, गहरे और जल-भरे होते हैं। | नॉर्वे, न्यूजीलैंड के तट |
निक्षेपण भू-आकृतियाँ (Depositional Landforms)
| भू-आकृति (Landform) | परिभाषा और विशेषताएँ (Definition & Features) | प्रमुख उदाहरण (Key Examples) |
| ग्लेशियल टिल (Glacial Till) | असंगठित मिट्टी, पत्थर और मलबे का जमा, जो पिघलते ग्लेशियर छोड़ते हैं। | हिमालय, अलास्का |
| हिमोढ़ (Moraine) | ग्लेशियर के किनारों, मध्य और अंत में जमा हुए मलबे की लकीरें। | टर्मिनल, पार्श्व, मध्यवर्ती हिमोढ़ |
| एस्कर्स (Eskers) | ग्लेशियर के नीचे बहने वाले पिघले पानी द्वारा जमा रेत और बजरी की लंबी रेखाएं। | कनाडा, आइसलैंड |
| ड्रमलिन (Drumlin) | चिकनी अंडाकार आकार की रिजें, जो बर्फ की गति की दिशा में बनी होती हैं। | आयरलैंड, ब्रिटेन |
| आउटवाश जमाव (Outwash Plains) | पिघलते पानी द्वारा बहाकर जमा हुई मोटी और पतली मिट्टी की सतह। | ग्रीनलैंड, स्कैंडिनेविया |
Importance of Glaciers | ग्लेशियरों का महत्व
ग्लेशियरों (Glaciers) का महत्व अत्यंत व्यापक और जीवन के लिए अनिवार्य है। ये पृथ्वी (Earth) पर मीठे पानी (Freshwater) का सबसे बड़ा भंडार हैं, क्योंकि लगभग तीन चौथाई मीठा पानी ग्लेशियरों के रूप में जमा होता है। इसलिए, ग्लेशियर पानी की सुरक्षा और जल संरक्षण (Water Conservation) में अहम भूमिका निभाते हैं। साथ ही, ग्लेशियर नदियों (Rivers) को स्थिर जल प्रवाह (Steady Water Flow) प्रदान करते हैं; उदाहरण के तौर पर, हिमालय का गंगोत्री ग्लेशियर (Gangotri Glacier) गंगा नदी (Ganga River) का प्रमुख स्रोत है, जो लाखों लोगों के लिए जीवनरेखा है।
इसके अलावा, ग्लेशियर ठंडे पानी का वातावरण बनाए रखते हैं, जो पहाड़ी क्षेत्रों (Mountain Regions) में जलीय जीवों (Aquatic Life) और कीस्टोन प्रजातियों (Keystone Species) के लिए अनुकूल आवास (Habitat) प्रदान करता है। इसके बिना ये प्रजातियाँ जीवित नहीं रह पातीं। साथ ही, ग्लेशियर से निकली मिट्टी (Soil) और रेत (Sand) कृषि (Agriculture) के लिए उपजाऊ भूमि (Fertile Land) और निर्माण सामग्री (Construction Material) जैसे कंक्रीट (Concrete) व डामर (Asphalt) बनाने के लिए महत्वपूर्ण संसाधन (Resources) भी मुहैया कराती हैं।
इस प्रकार, ग्लेशियर न केवल पर्यावरणीय दृष्टि (Environmental Perspective) से बल्कि आर्थिक और सामाजिक दृष्टि (Economic and Social Importance) से भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
Important Glaciers of India | भारत के महत्वपूर्ण ग्लेशियर
भारत में ग्लेशियरों (Glaciers in India) का भौगोलिक, पर्यावरणीय और रणनीतिक दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्व है। हिमालय और काराकोरम पर्वत श्रृंखलाओं (Himalayas and Karakoram Ranges) में फैले ये ग्लेशियर भारत की प्रमुख नदियों के स्रोत (Source of Major Rivers) हैं, जो कृषि, जल आपूर्ति और जल विद्युत उत्पादन में अहम भूमिका निभाते हैं। इसके अतिरिक्त, ये ग्लेशियर जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के प्रभावों को मापने के लिए भी एक संवेदनशील संकेतक (Sensitive Indicator) के रूप में कार्य करते हैं।
भारत में सियाचिन (Siachen), गंगोत्री (Gangotri), पिंडारी (Pindari) और ज़ेमू (Zemu) जैसे कई महत्वपूर्ण ग्लेशियर स्थित हैं जो विभिन्न पर्वतीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं। इनमें से कुछ ग्लेशियर रणनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं, जैसे कि सियाचिन ग्लेशियर, जो विश्व का सबसे ऊँचाई पर स्थित युद्ध क्षेत्र (Highest Battleground) भी है। नीचे दी गई तालिका में भारत के प्रमुख ग्लेशियरों, उनके राज्यों और पर्वतीय क्षेत्रों की जानकारी दी गई है:
| नाम | राज्य | पर्वत |
| भटूरा ग्लेशियर | जम्मू और कश्मीर | काराकोरम पर्वत श्रृंखला |
| खुर्दोपिन ग्लेशियर | जम्मू और कश्मीर | काराकोरम पर्वत श्रृंखला |
| हिस्पर ग्लेशियर | जम्मू और कश्मीर | काराकोरम पर्वत श्रृंखला |
| बियाफो ग्लेशियर | जम्मू और कश्मीर | काराकोरम पर्वत श्रृंखला |
| बाल्टोरो ग्लेशियर | जम्मू और कश्मीर | काराकोरम पर्वत श्रृंखला |
| चोमोलुंगमा ग्लेशियर | जम्मू और कश्मीर | काराकोरम पर्वत श्रृंखला |
| डायमिर ग्लेशियर | जम्मू और कश्मीर | काराकोरम पर्वत श्रृंखला |
| सियाचिन ग्लेशियर | जम्मू और कश्मीर | काराकोरम पर्वत श्रृंखला |
| गंगोत्री ग्लेशियर | उत्तराखंड | हिमालय |
| मिलम ग्लेशियर | उत्तराखंड | पिथौरागढ़ का त्रिशूल शिखर |
| पिंडारी ग्लेशियर | उत्तराखंड | कुमाऊं हिमालय की ऊपरी पहुंच |
| ज़ेमू ग्लेशियर | सिक्किम | पूर्वी हिमालय कंचनजंगा शिखर पर स्थित |
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