हंटर आयोग (Hunter Commission in Hindi) आधुनिक इतिहास का एक महत्वपूर्ण टॉपिक है, जो अक्सर UPSC, SSC और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछा जाता है। भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान दो मुख्य Hunter Education Commission नियुक्त किए गए थे। पहला 1882 का हंटर शिक्षा आयोग (Hunter Education Commission 1882) था, जिसे लॉर्ड रिपन ने देश में शिक्षा की स्थिति का विश्लेषण करने के लिए गठित किया था। इसका उद्देश्य प्रारंभिक और माध्यमिक शिक्षा में सुधार लाना था। दूसरा 1919 का हंटर आयोग (Hunter Commission 1919) था, जिसे Disorders Inquiry Committee भी कहा जाता है। इसे जलियांवाला बाग हत्याकांड की जांच के लिए बनाया गया था। इस घटना ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को नई दिशा दी। यह विषय Modern History, Indian Freedom Struggle, और Education Commission in British India जैसे कीवर्ड के तहत अत्यंत महत्वपूर्ण है। Gandhi Irwin Pact, Poona Pact, और Jallianwala Bagh Massacre जैसे टॉपिक्स भी इससे जुड़े हुए हैं। बिलकुल! नीचे दिया गया लेख हंटर एजुकेशन कमीशन (Hunter Education Commission in Hindi) पर आधारित है, जिसमें 1882 और 1919 के आयोगों की प्रमुख सिफारिशें और रिपोर्टों की चर्चा की गई है। यह लेख विशेष रूप से UPSC और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए उपयोगी है।
1882 का हंटर शिक्षा आयोग | Hunter Education Commission of 1882 in Hindi
हंटर शिक्षा आयोग 1882 (Hunter Education Commission 1882) का गठन लॉर्ड रिपन द्वारा किया गया था, जो उस समय भारत के वायसराय थे। इस आयोग का उद्देश्य भारत में शिक्षा की स्थिति का मूल्यांकन करना और सुधार हेतु सिफारिशें देना था। यह आयोग ब्रिटिश भारत की एजुकेशन पॉलिसी में एक महत्वपूर्ण मोड़ था। वुड डिस्पैच 1854 की सिफारिशों को प्रभावी ढंग से लागू न किए जाने के कारण शिक्षा की समीक्षा आवश्यक हो गई थी। सर विलियम हंटर की अध्यक्षता में गठित यह आयोग, British Education Reforms in India का आधार बना।
हंटर शिक्षा आयोग 1882 के गठन के कारण | Causes for Formation of Hunter Education Commission 1882
- 1857 के विद्रोह के बाद प्रशासनिक नियंत्रण ब्रिटिश ताज को सौंपा गया।
(1857 Revolt led to direct British Crown rule in India) - वुड डिस्पैच 1854 (Wood’s Dispatch) में प्रस्तावित अनुदान प्रणाली का सही क्रियान्वयन नहीं हुआ।
- भारत में शिक्षा की उपेक्षित स्थिति पर लंदन में चिंता जताई गई।
- “भारत में शिक्षा की सामान्य परिषद” (General Council of Education in India) का गठन किया गया।
- लॉर्ड रिपन को भारतीय शिक्षा की समीक्षा करने का निर्देश मिला।
- 1882 में सर विलियम हंटर की अध्यक्षता में आयोग का गठन हुआ।
हंटर एजुकेशन कमीशन की संरचना | Composition of Hunter Education Commission in Hindi
हंटर एजुकेशन कमीशन (Hunter Education Commission in Hindi) की स्थापना लॉर्ड रिपन ने की थी और इसकी अध्यक्षता सर विलियम विल्सन हंटर ने की, जो एक भारतीय सिविल सेवा (ICS) अधिकारी और वायसराय की कार्यकारी परिषद के सदस्य थे। इस आयोग का नाम उन्हीं के नाम पर पड़ा। आयोग में कुल 20 सदस्य थे, जिनमें से 7 भारतीय सदस्य थे। इस आयोग की संरचना में भारतीयों को शामिल करना उस समय एक प्रगतिशील कदम माना गया, जिससे भारतीय समाज की जरूरतों को समझने की कोशिश की गई। यह आयोग भारत की British Era Education Policy में एक ऐतिहासिक मोड़ था।
हंटर शिक्षा आयोग 1882 के भारतीय सदस्य | Indian Members of Hunter Education Commission 1882
- आनंद मोहन बोस (Anand Mohan Bose)
- के. टी. तेलंग (K.T. Telang)
- सईद महमूदी (Saiyid Mahmood)
- भूदेव मुखर्जी (Bhudev Mukherjee)
- आनंद मोहन बसु (Anand Mohan Basu)
- हरि गुलाम (Hari Gulam)
- महाराजा जितेंद्र मोहन टैगोर (Maharaja Jotindra Mohan Tagore)
हंटर शिक्षा आयोग की प्रमुख सिफारिशें | Major Recommendations of Hunter Education Commission 1882
हंटर शिक्षा आयोग 1882 ने भारत की शिक्षा नीति में सुधार हेतु कई महत्त्वपूर्ण सुझाव दिए। इसकी प्रमुख सिफारिश थी कि प्राथमिक शिक्षा का नियंत्रण स्थानीय निकायों (Local Bodies) को सौंपा जाए। महिलाओं की शिक्षा को बढ़ावा देने और देशी भाषाओं में शिक्षा को प्राथमिकता देने की सिफारिश की गई। माध्यमिक शिक्षा को विश्वविद्यालयों से अलग रखा जाए और सरकारी सहायता (Grant-in-aid system) को प्रभावी रूप से लागू किया जाए। आयोग ने मिशनरी संस्थानों की सीमित भूमिका पर भी बल दिया। ये सभी सिफारिशें भारत में British Education Reforms के लिए नींव साबित हुईं।
प्राथमिक शिक्षा | Primary Education in Hindi
Hunter Commission 1882 ने सुझाव दिया कि प्राथमिक शिक्षा का प्रबंधन स्थानीय निकायों (District Boards, Municipalities) को सौंपा जाए। शिक्षा का माध्यम मातृभाषा या स्थानीय भाषा होना चाहिए। पाठ्यक्रम को भारतीय आवश्यकताओं पर आधारित बनाकर, कृषि, भूगोल, अंकगणित जैसे व्यावहारिक विषयों को शामिल करने की सिफारिश की गई। आदिवासी क्षेत्रों में विद्यालयों के विस्तार और शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए सामान्य स्कूलों की स्थापना का भी सुझाव दिया गया। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के लिए अलग-अलग निधियाँ निर्धारित की जानी चाहिए।
माध्यमिक शिक्षा | Secondary Education in Hindi
हंटर आयोग ने माध्यमिक शिक्षा को दो प्रकार में बांटा—
Type A: विश्वविद्यालय के लिए साहित्य-केंद्रित पाठ्यक्रम,
Type B: व्यावसायिक शिक्षा आधारित पाठ्यक्रम।
माध्यमिक विद्यालयों को निजी संस्थाओं को सौंपने और सरकारी सहायता के माध्यम से प्रोत्साहित करने का सुझाव दिया गया। प्रत्येक जिले में एक मॉडल सरकारी स्कूल स्थापित करने की सिफारिश की गई। पाठ्यक्रम में विविधता पर बल दिया गया लेकिन शिक्षा के माध्यम को प्रबंधन के विवेक पर छोड़ा गया।
उच्च शिक्षा | Higher Education in Hindi
हायर एजुकेशन पर आयोग ने संस्थानों को अनुदान देने का सुझाव दिया, जो संस्थान की क्षमता, छात्रों की संख्या, और आवश्यकता पर आधारित हो। अनुसंधान सुविधाएं, प्रयोगशालाएं, पुस्तकालय, और शोध संसाधन मजबूत किए जाने चाहिए। यूरोपीय शिक्षा प्राप्त भारतीयों को शिक्षक पदों पर वरीयता दी जानी चाहिए। उच्च शिक्षा को गुणवत्ता और आधुनिकता से जोड़ने पर जोर दिया गया, जिससे भारत में Higher Learning Institutions का विकास संभव हो सके।
हंटर शिक्षा आयोग का प्रभाव | Impact of Hunter Education Commission 1882
हंटर आयोग 1882 की सिफारिशों का भारत की शिक्षा प्रणाली पर गहरा प्रभाव पड़ा। इसके बाद स्थानीय स्वशासन संस्थाओं (Local Self-Governments) को शिक्षा का अधिकार दिया गया। प्राथमिक शिक्षा ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंची और महिलाओं की शिक्षा को बढ़ावा मिला। शिक्षा में भारतीय भाषाओं का प्रयोग बढ़ा, जिससे आमजन को लाभ हुआ। आयोग की नीतियों ने ब्रिटिश भारत की शिक्षा नीति में विकेंद्रीकरण (Decentralization) की दिशा में कदम बढ़ाया। इस आयोग के बाद भारत में आधुनिक शिक्षा प्रणाली (Modern Indian Education System) की आधारशिला रखी गई।
1919 का हंटर कमीशन | Hunter Commission Of 1919 in Hindi
13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग हत्याकांड ने भारत ही नहीं, पूरी दुनिया को हिला दिया। इस क्रूर नरसंहार में महिलाओं और बच्चों सहित सैकड़ों निर्दोष नागरिक मारे गए। इस घटना की जांच के लिए ब्रिटिश सरकार ने 14 अक्टूबर 1919 को एक आयोग की घोषणा की, जो 19 नवंबर 1919 से कार्यरत हुआ। यह आयोग लॉर्ड विलियम हंटर की अध्यक्षता में गठित हुआ, जिसे आमतौर पर हंटर आयोग 1919 कहा जाता है। आयोग में कुल 7 सदस्य थे, जिनमें 3 भारतीय भी शामिल थे। इसका उद्देश्य जनरल डायर व पंजाब सरकार की भूमिका की जांच करना था।
हंटर आयोग 1919 की संरचना | Composition of Hunter Commission 1919
- अध्यक्ष: लॉर्ड विलियम हंटर (पूर्व सॉलिसिटर जनरल)
- कुल सदस्य: 7 सदस्य, जिनमें 3 भारतीय
सदस्य:
- डब्ल्यू. एफ. चावल – अपर सचिव
- मेजर जनरल सर जॉर्ज बैरो – पेशावर डिवीजन कमांडेंट
- न्यायमूर्ति जी.सी. रैंकिन – कलकत्ता हाईकोर्ट के जज
- सरदार सुल्तान अहमद खान
- पंडित जगत नारायण
- सर चिमनलाल सीतलवाडी
हंटर आयोग की रिपोर्ट | Report of Hunter Commission 1919 in Hindi
Hunter Commission Report 1919 भारतीय इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना है, जो जलियांवाला बाग नरसंहार (Jallianwala Bagh Massacre) की जांच के लिए गठित की गई थी। इस रिपोर्ट में जनरल डायर (General Dyer) के कृत्य की तीव्र आलोचना की गई, हालांकि ब्रिटिश सरकार ने कोई कठोर दंड नहीं दिया। आयोग की रिपोर्ट ने भारत में ब्रिटिश शासन की क्रूरता को उजागर किया और स्वतंत्रता संग्राम को और मजबूत किया। यह रिपोर्ट UPSC, SSC, NDA, CDS जैसे परीक्षाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण टॉपिक है। इसमें अमानवीय दमन, फायरिंग की अवधि, और भारतीयों की प्रतिक्रिया जैसे मुद्दों का गहन विश्लेषण किया गया।
मुख्य बिंदु (Key Points of Hunter Commission Report in Hindi)
- रिपोर्ट की प्रस्तुति: हंटर आयोग की रिपोर्ट 26 मई 1920 को प्रस्तुत की गई।
- जनरल डायर की निंदा: अधिकांश सदस्यों ने डायर के कार्यों की सर्वसम्मति से आलोचना की।
- चेतावनी की कमी: आयोग ने पाया कि भीड़ को तितर-बितर होने की कोई चेतावनी नहीं दी गई, जो गंभीर त्रुटि थी।
- कोई साजिश नहीं: सभा को ब्रिटिश शासन के खिलाफ साजिश नहीं माना गया।
- फायरिंग की अवधि: 10 मिनट तक की गई गोलीबारी को अत्यधिक और अनुचित बताया गया।
- डायर के विरुद्ध कार्रवाई नहीं: कोई सीधी अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की गई क्योंकि वरिष्ठ अधिकारियों ने डायर का समर्थन किया था।
- भारत से निष्कासन: डायर को कर्तव्य की गलत व्याख्या का दोषी मानकर भारत से निष्कासित कर दिया गया।
- अल्पसंख्यक रिपोर्ट (Indian Members’ View): भारतीय सदस्यों ने कहा कि भीड़ निर्दोष नागरिकों की थी, कोई विद्रोही नहीं थे।
- घायलों की मदद न करना: डायर ने घायलों की सहायता के कोई निर्देश नहीं दिए, जो अमानवीय था।
- ब्रिटिश छवि को क्षति: इस घटना ने ब्रिटिश शासन की छवि को गंभीर रूप से क्षति पहुंचाई।
हंटर आयोग 1882 और 1919 (Hunter Commission 1882 & 1919) भारतीय इतिहास और शिक्षा सुधारों के दो अत्यंत महत्वपूर्ण पड़ाव हैं। Hunter Education Commission 1882 ने जहां भारत में शिक्षा प्रणाली के विकेंद्रीकरण (Decentralization of Education) और स्थानीय निकायों की भागीदारी को बढ़ावा दिया, वहीं Hunter Commission 1919 ने जलियांवाला बाग हत्याकांड (Jallianwala Bagh Massacre) जैसे अमानवीय अत्याचारों की जांच करके ब्रिटिश शासन की क्रूरता को दुनिया के सामने उजागर किया। दोनों आयोगों की रिपोर्ट ने भारत के आधुनिक इतिहास (Modern Indian History) और स्वतंत्रता संग्राम (Freedom Struggle) को गहराई से प्रभावित किया।यह विषय UPSC, SSC, State PSCs, NDA, CDS जैसी प्रमुख प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि आप History Optional या General Studies Paper-I की तैयारी कर रहे हैं, तो Hunter Commission के दोनों संस्करणों की विस्तृत जानकारी आपके लिए scoring साबित हो सकती है।
अधिक अध्ययन सामग्री के लिए आप exam24x7.com पर भी विजिट कर सकते हैं – आपकी परीक्षा की सफलता का भरोसेमंद साथी।