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पद-परिचय: परिभाषा, प्रकार, उदाहरण और वाक्य में प्रयोग | Pad Parichay in Hindi

पद-परिचय

इस लेख में हम आपको पद-परिचय (Pad Parichay in Hindiके बारे में संपूर्ण जानकारी देने जा रहे हैं, जो सभी प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है और यहां आपको पद-परिचय से संबंधित सभी जानकारी बहुत ही आसान भाषा में मिलेगी। यह उपलब्ध होने वाला है जिसे आपको एक बार पूरा अवश्य पढ़ना चाहिए ताकि आपको पद-परिचय से संबंधित सभी प्रश्नों के उत्तर मिल सकें। जैसे- पद-परिचय क्या है (pad parichay kya hai), पद-परिचय कितने प्रकार के होते हैं (Pad Parichay types in hindi) आदि।

जब शब्दों का प्रयोग वाक्य में किया जाता है तो वे शब्द कहलाते हैं। उन पदों का व्याकरणिक परिचय प्रस्तुत करना पद-परिचय (pad parichay kise kahte hain) कहलाता है। शब्द के परिचय में सबसे पहले यह पहचानना चाहिए कि यह शब्द किस श्रेणी के शब्दों के अंतर्गत आता है। फिर इसकी व्याकरणिक भूमिकाओं का उल्लेख निम्नलिखित निर्देशों के अनुसार किया जाना चाहिए। जब शब्दों का प्रयोग वाक्य में किया जाता है तो वे शब्द कहलाते हैं। वाक्यों में शब्द नहीं, वाक्यांश होते हैं। वाक्य में प्रत्येक पद की प्रकृति तथा उसका अन्य पदों से संबंध बताने की प्रक्रिया को पद-परिचय  (Pad Parichay in Hindiकहते हैं।

पद परिचय (Pad Parichay Hindi me) का अर्थ है वाक्य में प्रयुक्त शब्दों का व्याकरणिक परिचय देना। ‘पद अनुदेश’, ‘पद अनुभाग’, ‘पद व्यवस्था’ शब्द पद परिचय  (Pad Parichay in Hindiके पर्यायवाची हैं। प्रस्तावना में वाक्य के पदों, उनके स्वरूप तथा अन्य पदों के साथ उनके सम्बन्ध का परिचय देना होता है अर्थात् व्याकरणिक ज्ञान की परीक्षा तथा उस ज्ञान के सिद्धान्तों का व्यावहारिक प्रयोग ही परिचय का मुख्य उद्देश्य होता है।

प्रयोग के आधार पर पद परिचय आठ प्रकार के होते हैं | Types of Pad Parichay in Hindi

पद परिचय कुल 8 प्रकार के होते हैं, जो बहुत महत्वपूर्ण हैं, आइए प्रयोग के आधार पर विस्तार से जानते हैं।

  • संज्ञा। Sangya
  • सर्वनाम। Sarvanam
  • विशेषण। Visheshan
  • अव्यय। Avyay
  • क्रिया-विशेषण। Kriya visheshan
  • क्रिया। Kriya
  • संबंधबोधक। Sambandhbodhak
  • समुच्चयबोधक। Samuchaya Bodhak

संज्ञा का पद परिचय | Sangya Ka Pad Parichay Hindi Me

वाक्य में संज्ञा का परिचय देते समय संज्ञा का संबंध, संज्ञा का अंतर, लिंग, वचन, कारक और क्रिया का अंतर या अन्य पदों से उसका संबंध बताना आवश्यक है।

उदाहरण- हिमालय भारत का पर्वत है। उपरोक्त वाक्य में ‘हिमालय’, ‘भारत’ और ‘पर्वत’ संज्ञा हैं।

इनका पदनाम निम्नलिखित प्रकार से किया जायेगा-

हिमालय: व्यक्तिवाचक संज्ञा, द्वितीय पुरुष, पुल्लिंग ‘है’ क्रिया का कर्ता है।

भारत: व्यक्तिवाचक संज्ञा, द्वितीय पुरुषवाचक, पुल्लिंग यह ‘पर्वत’ से संबंधित है।

पर्वत: जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्मवाचक।

सर्वनाम का पद परिचय | Sarvanam Ka Pad Parichay Hindi Me 

सर्वनाम का परिचय दिखाने में सर्वनाम का भेद, शब्द, लिंग, कारक तथा वाक्य के अन्य पदों से संबंध दिखाना होता है।

उदाहरण- जिसे तुमने बुलाया है, उसे अपने घर जाने दो।

इस वाक्य में ‘कौन’, ‘आप लोग’, ‘वह’ और ‘तुम्हारा’ शब्द सर्वनाम हैं। 

किससे: दूसरा व्यक्ति, सर्वनाम, पुल्लिंग, एकवचन, कर्मवाचक।

आपके पास है: पुल्लिंग सर्वनाम, कर्तावाचक।

उसे: दूसरा व्यक्ति, सर्वनाम, पुल्लिंग, एकवचन, कर्म कारक।

हमारा: निजवाचक सर्वनाम, मध्यम पुरुष।

(3) विशेषण का पद परिचय | Visheshan Ka Pad Parichay In Hindi 

विशेषण  पद का परिचय देते समय विशेषण, लिंग, वचन और विशेषण के अंतर का उल्लेख करना चाहिए। विशेषण का लिंग विशेषण से निर्धारित होता है।

उदाहरण- सज्जन लोग अधिक बातें नहीं करते।

इस वाक्य में ‘सज्जन’ और ‘बहुत से’ विशेषण उपवाक्य हैं। 

सज्जन: पुल्लिंग, बहुवचन, इसका गुण ‘पुरुष’ है।

अनेक: विशेषण, संख्यावाचक, अनिश्चित, स्त्रीलिंग, बहुवचन, ‘चीजें’ इसकी विशेषता है।

विस्मयादिबोधक अव्यय का पदपरिचय | Vismaya Bodhak Avyay Ka Pad Parichay In Hindi

विस्मयादिबोधक अव्यय पद का परिचय देने के लिए वाक्य में प्रयुक्त क्रिया-विशेषण और उससे संबंधित पद का अंतर लिखना पड़ता है।

उदाहरण- वाह! आप कितनी अच्छी किताब लाए हैं। 

बहुत खूब ! : विस्मयादिबोधक, खुशी व्यक्त करना।

क्रिया-विशेषण का पद परिचय | Kriya Visheshan Ka Pad Parichay In Hindi

क्रियाविशेषण का परिचय देते समय क्रिया-विशेषण के प्रकार तथा उस क्रिया का उल्लेख करना पड़ता है, जिस क्रिया-विशेषण का प्रयोग क्रिया की विशेषता को प्रकट करने के लिए किया गया है।

उदाहरण- बहुत जल्दी जाओ।

इस वाक्य में ‘बहुत’ और ‘शीघ्र’ क्रिया-विशेषण उपवाक्य हैं। उनका पद परिचय इस प्रकार होगा।

अनेक: माप का क्रियाविशेषण और जल्दबाजी का क्रियाविशेषण है।

शीघ्र : समय का क्रियाविशेषण और क्रिया का समय बताता है।

क्रिया का पद परिचय | Kriya Ka Pad Parichay Hindi Me

क्रिया का परिचय देते समय क्रिया के प्रकार, स्वर, काल, लिंग, शब्द, पुरुष और क्रिया से संबंधित शब्दों को लिखना होता है।

उदाहरण- श्याम ने चावल खाकर किताब पढ़ी।

‘खाओ’ और ‘पढ़ो’ इस वाक्य के क्रिया भाग हैं। उनका पदनाम इस प्रकार होगा:

खाना : पूर्ववाच्य क्रिया, सकर्मक, कर्मवाच्य, इसकी क्रिया ‘चावल’ है।

पढ़ें: सकर्मक क्रिया, कर्मवाच्य, सरल भूतकाल, निश्चित रूप, इसका कर्ता ‘राम’ और क्रिया ‘पुस्तक’ है।

संबंधबोधक का पदपरिचय | Sambandhbodhak Ka Pad Parichay In Hindi

संबंधबोधक के पदपरिचय में संबंधबोधक का भेद और संबंधबोधक से जुड़े शब्द को लिखना होता है।

उदाहरण- बिल्ली कुर्सी के नीचे बैठी है।

उपरोक्त में ‘कुर्सी’ और ‘बिल्ली’ संबंधित शब्द हैं।

समुच्चयबोधक का पदपरिचय | Samuchaya Bodhak Ka Pad Parichay In Hindi

समुच्चयबोधक पदनामों का परिचय देते समय समुच्चयबोधक तथा समुच्चयबोधक से संबंधित संयुक्त शब्दों का अंतर लिखना होता है।

उदाहरण- मुंबई अथवा रांची में पढ़ना ठीक है।

इस वाक्य में ‘अथवा’ समुच्चयबोधक शब्द है।

पद परिचय को कैसे पहचानें? | Pad Parichay Ko Kaise Pahchane In Hindi

सबसे पहले आपको संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया, क्रियाविशेषण, संयोजक, संयोजक, प्रक्षेप, निर्धारक (निपात) आदि के बारे में जानना चाहिए।

  • यदि रेखांकित शब्द किसी व्यक्ति, वस्तु, पशु, पक्षी, भाव, जाति आदि के बारे में बताता है तो वह शब्द संज्ञा है।
  • यदि रेखांकित शब्द का प्रयोग संज्ञा के स्थान पर किया जाता है, जैसे मेरा, मैं, तुम, तुम्हारा, वह, वह आदि, तो वह शब्द सर्वनाम होता है।
  • यदि रेखांकित शब्द वाक्य में क्रिया की विशेषता बताता है तो वह क्रिया-विशेषण है। उदाहरण के लिए, क्रिया कब हो रही है (कल, अभी, दिन भर), क्रिया कैसे हो रही है (शांत, निश्चित रूप से, शीघ्रता से), क्रिया कहाँ हो रही है (अंदर, ऊपर, आसपास), कितनी है होने वाली कार्रवाई (कम, पर्याप्त, अधिक)।
  • यदि रेखांकित शब्दों से आश्चर्य, हर्ष, घृणा, दुःख, पीड़ा आदि कोई भाव प्रकट हो तो यह विस्मयादिबोधक तत्त्व है। जैसे – अरे!, वाह!, अच्छा! वगैरह-वगैरह।

पद परिचय के लिए आवश्यक संकेत | Pad Parichay Ke Liye Sanket Hindi Me

पद परिचय में वाक्य के पदों के परिचय से तात्पर्य यह है कि वाक्य में दिए गए शब्दों में से कौन सा संज्ञा है, कौन सा सर्वनाम शब्द है या कौन सा क्रिया शब्द है, कौन सा कारक शब्द है, क्या जो इसका लिंग है, जो इसका शब्द है। यह वैसा ही है तथा अन्य पदों आदि से इसका सम्बन्ध बताना ही पद का परिचय है।

  • संज्ञा – संज्ञा के भेद, लिंग, वचन, कारक, क्रिया से संबंध।
  • सर्वनाम – सर्वनाम के भेद, व्यक्ति, लिंग, शब्द, कारक, क्रिया से उनका संबंध।
  • विशेषण – विशेषण, लिंग, वचन, विशेषण के भेद।
  • क्रिया – अकर्मक, सकर्मक, लिंग, वचन, काल, वचन, प्रयोग, कर्ता और क्रिया का उल्लेख।
  • क्रिया – विशेषण – भेद, क्रिया की दिशा जिसकी विशेषता बतायी जाती है।
  • सापेक्ष – भेद, सापेक्ष शब्द का सन्दर्भ।
  • समुच्चय – भेद, संयुक्त शब्द का उल्लेख।
  • विस्मयादिबोधक – भेद (आश्चर्य, हर्ष, शोक, भय आदि)।

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